सुप्रीम कोर्ट का CRZ मामले में अहम फैसला
मिरा भाईन्दर मे 1036 हेक्टेयर भूमि संरक्षित वन घोषित
भाईन्दर = मिरा भाईन्दर शहर मे समुद्री किनारे अवैध रूप से झोपडा बनाने वालो पर अंकुश लग सकता है। यह भुमाफिया कुछ नेताओ व अधिकारीयो के सरक्षण मे यह अवैध निर्माण कार्य करके पर्यावरण को नुकसान पहुचाने का काम कर रहे है परन्तु मिरा भाईन्दर मे अब इन क्षेत्र को संरक्षित वन क्षेत्र घोषित करने के बाद इन पर अब लगाम लग सकती है। भाईन्दर मे समुद्री तट के किनारे और मैंग्रोव वाली लगभग 1036 हेक्टेयर भूमि को राज्य सरकार ने संरक्षित वन घोषित कर दिया है। विभिन्न पर्यावरण प्रेमीयो द्वारा 2005 मे दायर याचिका पर फैसला देते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने समुद्री तट और मैंग्रोव से 50 मीटर की दूरी तक के क्षेत्र को वफर जोन घोषित करके वहा पर किसी भी तरह के निर्माण कार्य पर प्रतिबंध लगा दिया था । इस फैसले के बाद राज्य सरकार को संबधित क्षेत्र का सर्वेक्षण कर उसे संरक्षित वन घोषित करना था लेकिन राज्य सरकार द्वारा 2018 तक इसका सर्वेक्षण नही किया गया। अतः 2018 मे उच्च न्यायालय की फटकार के बाद सर्वेक्षण का काम शुरू हुआ। 2 जून को भाईन्दर मंडल अघिकारी ने 1036 हेक्टयर भूमि को मैंग्रोव वन विभाग को हस्तांतरित कर दिया। मिरा भाईन्दर शहर मे भुमाफिया द्वारा समुद्र किनारे की जगहो पर भरनी करके वहा पर अवैध तरीके से झोपड़े बना कर बेचे जा रहे है। इन लोगो को स्थानीय नेताओ व अधिकारीयों का सरक्षण प्राप्त होने से यह मैंग्रोव को नुकसान पहुचा कर यह अवैध निर्माण कार्य बेधड़क कर रहे है। पहले इन लोगो पर पर्यावरण अधिनियम के तहत मामले दर्ज होते थे परन्तु अब इन भुमाफियाओ पर वन अधिनियम के तहत मामले दर्ज होगे।