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दीपक खांबित और सुरेश वाकोडे महज एक मोहरे

दीपक खांबित और सुरेश वाकोडे महज एक मोहरे

मिरा भायंदर गॉव से शहर बना ग्रामपंचायत से महानगरपालिका बनी और जिस तेजी से  शहर की आबादी बढ़ी लोगो को मुलभुत सुविधा की जरुरत पड़ने लगे इसीको मद्दे नजर रखते हुए स्थानीय नेताओं के महानगरपालिका के अधिकारीयों ने राज्य  के मंत्रीओ ने शहर के विकास की योजनाओ को मंजूरियां दी लेकिन सबसे बड़ी समस्या थी पूरा शहर CRZ से बाधित था शहर के विकास के लिए CRZ के नियमों की अनदेखी की गई और शहर धीरे धीरे विकास की और बढ़ता गया उसीका नतीजा हैं आज शहर में मेट्रो आने के इंतज़ार में हैं।  बहु मंजिला इमारते  हैं लेकिन इन बहु मंजिला इमारतों में शहर में गटर और नालो की जरुरत पड़ेंगी शहर में जगह जगह पानी भरता था रहवासियों का लाखो रुपयों का नुकसान होता था इन सभी बातों को मद्दे नजर रखते हुए शहर में पक्के नालो का निर्माण किया गया और कई नाले निर्माणाधीन कगार पर हैं  और तो और पिछले दस वर्षो से ज्यादा का समय निकल गया पुरे शहर में  भूमिगत गटर योजना के तहत सीवरेज प्लांट बनाए गए अभी तक भूमिगत योजना कार्यान्वित हैं आनेवाले दो वर्षो में इस योजना का भी काम पूर्ण कर लिया जाएगा फिर शहर में पानी भरने की शिकायते ना के बराबर रहेंगी लेकिन इन सभी योजना को पूर्ण करने के लिए और शहर वासियों को सुविधा प्रदान करने के  लिए अपने नामो पे धब्बा लगवाते हुए फौजदारी मामले अपने सर लेने पड़े अगर यह दोषी हैं  तो इन योजना में शामिल सम्पूर्ण सरकारी तंत्र , स्थानीय नेता  चाहे वह   नगर सेवक हो विधायक हो महापौर हो यह सभी फौजदारी मामले के दायरे में आते हैं क्योकि इन सभी की विकास निधि से ही यह सारे कार्य पूर्ण हुए हैं। बड़ा आसान होता हैं छोटे अधिकारिओ को टारगेट करना क्योकि कार्यो का वर्क आर्डर  पर उनके हस्ताक्षर होते हैं। पुलिस अधिकारिओं को सोचना चाहिए जब ऐसे मामले आपके पास आते है  इन मामलो में जिम्मेदार वर्क आर्डर देने वाले अधिकारी नही होते हैं पूरा का पूरा सिस्टम सम्मिलित होता हैं। ठाणे कलेक्टर के तहसीलदार बड़े आसानी से पर्यावरण प्रेमी द्वारा दी गई शिकायतों पर मनपा अधिकारोयो पे मामले तो दर्ज कर लेते हैं  लेकिन वो कितने दूध के धुले हैं शहर में जितने भी मट्टी भराव के अवैध कार्यो होते उन सभी में इनका भ्रष्टाचार सम्मिलित होता हैं तभी तो शहर में  मानसून आने पर जल भराव की समस्या पैदा होती हैं तभी तो अधिकारियो को जल भराव दूर करने लिए शहर वासियों को इसे  निजाज दिलाने केलिए गटर और नालो का आनन फानन में सरकारी नियमो की अनदेखी कर निर्माण करना पड़ता हैं इन सभी बातों को कोई नहीं सोचता लेकिन अधिकारियो पर फौजदारी मामले करने के लिए लोग अपनी शान समजते हैं। ज्ञात हो की मैंग्रोव प्रतिबंधित क्षेत्र मे पर्यावरण को नुकसान पंहुचाने वह उक्त भुखंड पर सीमेंट के नाले के निर्माण करने के एक मामले मे मिरा भाईन्दर मनपा के कार्यकारी अभियंता दीपक खांबित तथा सुरेश वाकोडे की अग्रिम जमानत याचिका ठाणे न्यायालय ने खारिज कर दी है। यह मामला मिरारोड के नेमीनाथ हाईट्स एव मनपा की पानी की टंकी के पीछे के परिसर का है।  यहा पर मनपा की और से सीमेंट के नाले का निर्माण किया जा रहा था जिसकी शिकायत पर्यावरण प्रेमी धीरज परब द्वारा कि गयी थी। उन्होने यहा पर मैंग्रोव नष्ट करने तथा 50 मीटर की परिधी के भीतर निर्माण करने की शिकायत की थी। उनकी शिकायत के आधार पर 25 मार्च को अपर तहसीलदार नंदकिशोर देशमुख की अनुमति से मंडल अधिकारी प्रंशात कापडे की शिकायत पर मिरारोड पुलिस स्टेशन मे दीपक खांबित , सुरेश वाकोडे तथा ठेकेदार पर मामला दर्ज किया गया था और ठाणे न्यायलय ने अधिकारियो के अग्रिन जमानत को  ठुकरा दिया था और इसका शहर में हकीकत से परे हो कर लोग उसका मुद्दा बना कर वाहा वाही लूट रहे थे। 


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