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कुवैत में भारतीय मजदूरों के साथ होता है अमानवीय अत्याचार

कुवैत में भारतीय मजदूरों के साथ होता है अमानवीय अत्याचार

कानूनी प्रक्रिया,जांच पड़ताल के बाद ही जाए विदेश : एपीआई शिंदे

भायंदर। मीरा भायंदर वसई विरार पुलिस आयुक्तालय के आयुक्त सदानंद दाते ने अपने मातहत आने वाले पुलिस पीएसआई तेजश्री शिंदे और कर्मचारियों की मेहनत से भरोसा सेल के द्वारा भारतीय दूतावास से संपर्क कर 15 दिनों के भीतर कुवैत में फंसे एक दंपति को छुड़ाने में सफलता हासिल की है। यह कोई पहला मामला नहीं है इससे पहले भरोसा सेल के एपीआई तेजश्री शिंदे की मदद से  सेंट्रल अफ्रीका से भी एक लड़की को रेस्क्यू कराकर भारत लाया गया था। 

मीरा रोड की रहने वाली पीड़ित विजयलक्ष्मी और हरीश एक एजेंट के माध्यम से कुवैत काम करने गए थे। उन्हें यह कहकर भेजा गया था कि एयरपोर्ट पर काम करना है लेकिन कुवैत पहुंचते ही वहां का नजारा कुछ और ही था, वहां पहुंचते ही उन्हें मालूमात होता है कि एक परिवार में उन्हें 3 बच्चों को संभालना था और साथ ही साथ जरुरी घरेलु काम काज करना है लेकिन ऐसा कुछ नहीं था वहा दोनों पीड़ित को 9 बच्चे संभालने थे और 6 कमरों की साफ़-सफाई करनी थी। उन्हें 6 बजे सुबह से काम शुरू कर अगले दिन सुबह 4 बजे तक काम करना पड़ता था और उन्हें कुछ खाने को भी नहीं दिया जाता,काम होने के बाद उन दोनों को रूम में बंद कर दिया जाता था। जिसकी वजह से लगातार काम करने से विजयलक्ष्मी का स्वास्थ्य बिगड़ने लगी जिसके कारण वह बीमार रहने लगी और उसे अस्पताल में भर्ती होना पड़ा।अपने साथ हुई ठगी देखकर होती देख विजयलक्ष्मी और हरीश भारत आने की मांग करने लगे लेकिन कुवैत में उनका मालिक उन्हें भेजने को तैयार नहीं था क्यूंकि उन्होंने क़ानूनी प्रक्रिया के हिसाब से जो बॉन्ड भर रखा था  जबतक उनके काम की अवधि खत्म नहीं होती तब तक वह भारत नहीं जा सकते है।बार -बार मानसिक यातनाएं झेलनेसे विजयलक्षमी की तबियत बिगड़ने लगी और उसे अस्पताल भर्ती कराया गया उसी दौरान विजयलक्ष्मी ने अपनी पहली मालकिन ज्योति पांडे से संपर्क कर उन्हें अपने साथ हो रहे दुर्व्यवहार की बात बताई और हॉस्पिटल के कुछ तस्वीरें भेजी। जिसके बाद ज्योति पांडे ने उन्ही फोटो को ट्वीट कर भारतीय दूतावास,प्रधानमंत्री मोदी से मदद मांगी।फिर इस मामले को ज्योति पांडे ने  भायंदर पश्चिम स्तिथ "भरोसा सेल" से संपर्क किया। जिसके बाद एपीआई तेजश्री शिंदे ने कुवैत स्तिथ भारतीय दूतावास के सहयोग से दोनों को 15 दिन के अंदर भारत लाया गया। 

भरोसा सेल की प्रमुख एपीआई तेजश्री शिंदे ने बताया कि ज्योति पांडेय के घर पर विजयलक्ष्मी काम किया करती थी और वह कुछ दिन पहले काम करने कुवैतचली गई थी,जिसके बाद विजय लक्षमी वहां बीमार हो गई और कॉल कर अपनी पूर्व मालकिन से मदद मांगी और हो रहे अत्याचार के बारे में बताई और कहने लगी की मुझे भारत आना है मेरी मदद करो, तभी ज्योति पांडेय ने भरोसा सेल में आवेदन पत्र दिया। जिसके आधार पर उच्च अधिकारी से संपर्क कर उनके मार्गदर्शन पर भारतीय दूतावास को संपर्क किया और उनकी मदद से 15 दिन के भीतर भारत वापस लाया गया। भारतीय दूतावास का कहना था कि यह दोनों आते वक्त बॉन्ड साइन किया था जो बॉन्ड का टाइम पीरियड हैं वह समय तक काम उनको काम करना ही पड़ेगा क्यूंकि यहां का लेबर कानून सख्त है और उन्हें यहां के कानून के हिसाब से चलना ही पड़ेगा। विदेशों में जाने से पहले उस देश का कानून की जानकारी जरूर लीजिए और वहा की प्रक्रिया क्या है वह भी जानना जरुरी है। अगर आप विदेश जाते हो तो कानून के दायरे में जाए ना की गैरक़ानूनी पुसिंग के जरिए जाए,क्यूंकि विदेशो का लेबर कानून बहुत ही सख्त है वहां टाइम पीरियड,वीजा की जो सारी प्रोसेस है और जबतक बॉन्ड पर लिखा टाइम पीरियड समाप्त नहीं होता आप वहां से नहीं आ सकते है। : एपीआई तेजश्री शिंदे


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