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100 प्रदूषणकारी फैक्टियों पर एनजीटी ने लगाया 280 करोड़ का जुर्माना

100 प्रदूषणकारी फैक्टियों पर एनजीटी ने लगाया 280 करोड़ का जुर्माना

एनजीटी ने प्रवर्तन निदेशालय को भी लगाई कड़ी फटकार 

राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने पालघर जिले के तारापुर औद्योगिक क्षेत्र की लगभग सौ फैक्ट्रियों पर 280 करोड़ रुपये का जुर्माना ठोका है। इसके अलावा क्षेत्रीय नियामक संस्थाओं पर भी जुर्माना लगाया गया है। संबंधित संस्थाओं को यह राशि तीन माह के अंदर जमा करने के निर्देश दिए गए हैं। एनजीटी ने यह जुर्माना औद्योगिक क्षेत्र व आसपास के क्षेत्रों में औद्योगिक इकाइयों द्वारा अपशिष्ट छोड़ने से जलाशयों को प्रदूषित करने पर पर्यावरण मुआवजे के तौर पर उक्त राशि देने का आदेश किया है। एनजीटी द्वारा जारी 24 जनवरी के आदेश में प्रवर्तन निदेशालय को भी कड़ी फटकार लगाई और कहा कि जलाशयों में प्रदूषण युक्त तत्व छोड़ने के अपराध के बावजूद एजेंसी ने धन शोधन कानून के तहत इन कंपनियों पर कार्रवाई क्यो नहीं की। आगे एनजीटी ने स्पष्ट कहा कि कार्रवाई नहीं किये जाने के कारण फैक्टियों को कानून का उल्लंघन करने का प्रोत्साहन मिला। एनजीटी ने अपने निर्णय में कहा है कि प्रवर्तन निदेशालय देश में प्रदूषण फैलाने वाली ऐसी इकाइयों या संस्थाओं पर अपने अधिकारों का पूरा उपयोग नहीं कर रहा है। पिछले साढ़े आठ वर्ष में उसने एक भी मामले में कार्रवाई नहीं की है। जबकि 2012 में ही प्रवर्तन निदेशालय के कानूनों में परिवर्तन करके उसे ये अधिकार दिए गए थे।  महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को घोर लापरवाही के लिए कड़ी फटकार लगाते हुए एनजीटी ने कहा कि महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम  ने भी पाइपलाइन की नियमित सफाई नहीं की जिससे प्रदूषण में वृद्धि हुई। इन फैक्टियों के अलावा एनजीटी ने तारापुर पर्यावरण सुरक्षा सोसाइटी के केंद्रीकृत 'ट्रीटमेंट प्लांट' को भी 91.79 करोड़ रुपए मुआवजा अदा करने का भी आदेश दिया है।

इसके अलावा राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने एमआईडीसी को भी दो करोड़ रुपये अदा करने का आदेश दिया। मुआवजे की राशि तीन महीने के भीतर प्रदूषण नियंत्रण मंडल को सौंपी जाएगी। एनजीटी ने कहा कि इस राशि का उपयोग एक समिति के दिशा निर्देशों के तहत, क्षेत्र के लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण के लिए किया जाएगा।

एनजीटी ने इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय को भी खरी-खोटी सुनाते हुए सवाल किया है कि वह इस मामले में अपने अधिकारों का पालन करते हुए कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है। एनजीटी ने अपने निर्णय में कहा है कि प्रवर्तन निदेशालय देश में प्रदूषण फैलाने वाली ऐसी इकाइयों या संस्थाओं पर अपने अधिकारों का पूरा उपयोग नहीं कर रहा है। पिछले साढ़े आठ वर्ष में उसने एक भी मामले में कार्रवाई नहीं की है। जबकि 2012 में ही प्रवर्तन निदेशालय के कानूनों में परिवर्तन करके उसे ये अधिकार दिए गए थे। एनजीटी ने जिस तारापुर एमआइडीसी क्षेत्र की औद्योगिक इकाइयों पर यह जुर्माना ठोका है, वह पालघर जिले के तारापुर क्षेत्र के करीब 15 गांवों में फैला है। 2011 की जनगणना के अनुसार इन गांवों की कुल आबादी 1,03,208 है।

एनजीटी ने अखिल भारतीय मांगेला समाज परिषद की ओर से दायर याचिका पर 500 पन्नों में आदेश जारी किया। इस संगठन के लोगों का कहना है कि उनकी आजीविका मछली पालन पर ही निर्भर है। जबकि औद्योगिक इकाइयां अपना औद्योगिक कचरा पड़ोस में स्थित अरब सागर व उससे निकली समुद्री खाड़ियों में डालती हैं। जिसके कारण उनकी आजीविका व स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। प्रदूषण के लिए कुख्यात तारापुर औद्योगिक क्षेत्र की फैक्टियों पर एनजीटी की कड़ी फटकार और फैक्टियों पर लगाये गए करोड़ो के जुर्माने के फैसले की स्थानीय लोगों ने प्रशंशा की है।

भ्रष्ट अधिकारियों पर सबसे पहले कार्यवाही की जाए और इनसे दो करोड़ रुपये जुर्माना वसूला जाए।

कुंदन दवणे – अखिल भारतीय मांगेला समाज परिषद, कार्यकारणी सदस्य


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