अजगरा विधानसभा सीट पर बहुसंख्यक मतदाताओं की पहली पसंद बने अजय शास्त्री

अजगरा विधानसभा सीट पर बहुसंख्यक मतदाताओं की पहली पसंद बने अजय शास्त्री

वाराणसी। चुनाव हो और उसमें सीट आरक्षित हो जाए तो पार्टी को उम्मीदवार तय कर पाना बहुत मुश्किल हो जाता है, ऐसे में एक ही रास्ता प्रमुख रूप से माना जाता है कि आरक्षित सीट के बहुसंख्यक मतदाताओं की पहली पसंद कौन इन दिनों बना हुआ है और क्यों बना हुआ है? कुछ इसी तरह की कसौटी पर खरा उतर रहे हैं इन दिनों अजगरा निवासी अजय प्रताप उर्फ अजय शास्त्री। इनके बारे में लोगों की राय है कि एक तो यहां के रहिवासी हैं और हमारी अनुसूचित जाति (चमार) बिरादरी से आते हैं। साथ ही इनके पिता भी चंदौली विधानसभा से विधायक के साथ-साथ अन्य कई राजनीतिक पदों पर रहते हुए अपनी बिरादरी के लोगों के लिए अनंत कार्य किए हुए हैं, जिसको गिनाया नहीं जा सकता है। जैसा कि अजय शास्त्री के पिता स्व. छुन्नू लाल शास्त्री मूलतः ग्राम-पोस्ट कंदवा, तहसील सदर, थाना मंडुवाडीह, वाराणसी से थे। इनके जैसा पूरे पूर्वांचल में और दूजा कोई अनुसूचित जाति वह भी चमार जाति का मौके पर कोई नहीं है। इस तरह की अजगरा विधानसभा में इन दिनों इस बहुसंख्यक मतदाताओं के मुंह से सुनाई पड़ रही है। आगे अजय शास्त्री के बारे में इसी बिरादरी के सुरेश नाम का व्यक्ति कहा कि यह छुन्नू के पुत्र हैं और हम सब इनसे अच्छा अपना प्रतिनिधि नहीं पा सकते।  
गौरतलब हो कि विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट के बीच वाराणसी के विधानसभा क्षेत्रों में दावेदार सक्रिय होने लगे हैं। पिछली विधानसभा में सुभासपा के खाते में गई अजगरा सीट पर इन दिनों भाजपा सहित सभी दलों की निगाहें टिकी हैं। सुभासपा और भाजपा के बीच दूरियां होने के बाद अब भाजपा से जुड़े नेता अपनी दावेदारी को लेकर आश्वस्त दिख रहे हैं। उधर, बसपा हर हाल में अपनी सीट को वापस चाहती है और सपा भी इस सीट पर काबिज होकर वर्चस्व कायम करने की जुगत में है। दूसरी तरफ सूत्रों की मानें तो भाजपा के साथ इसी बिरादरी मतदाताओं को अपनाने को आतुर एक पार्टी उनके साथ केंद्र में विराजमान है और आशा यहां के लोग कर रहे हैं कि अजय प्रताप को उसी पार्टी से टिकट मिलने का कयास लगा रहे हैं। बहरहाल देखा जाए तो अजय प्रताप सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़ कर भाग लेते रहे हैं। इसी कारण छून्नूलाल शास्त्री समाकलन समिति के प्रबंधक, काशी वेलफेयर सोसाइटी, वाराणसी के संयोजक, काशी बप्टीस्ट चर्च के संयोजक, नशा मुक्ति मोर्चा के संयोजक तथा वाराणसी के अंतर्गत कई लेखन भी अपने लिखे हैं। इसके साथ ही भाजपा जिला अपाध्यक्ष (अनु.मोर्चा), वर्ष २००१ से लेकर २०१४ तक अखिल भारतीय परिषद से जुड़ कर अब तक महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से लगातार छात्र राजनीति से जुड़े हुए हैं। ऐसे में यहां का युवा मतदाता भी अजय प्रताप को अपना प्रतिनिधित्व करवाने को लालायित है।  
ज्ञात हो कि वर्ष २०१२ के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई अजगरा विधानसभा में बसपा के त्रिभुवन राम पहली बार विधायक बने थे। इसके बाद वर्ष २०१७ में यह सीट भाजपा गठबंधन में सुभासपा के पास थी और सुभासपा के कैलाश सोनकर विजयी हुए थे। अब बदले राजनीतिक परिवेश में भाजपा और सुभासपा अलग-अलग हैं तो भाजपा के कई दावेदार यहां सक्रिय है और उन्हें यहां से उम्मीद भी है। ऐसे में अजय प्रताप कुछ अलग ही रुख अख्तियार करने की जुगत में दिखाई पड़ रहे हैं। यहां बता दें कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग के सदस्य कमलेश पासी, बसपा से भाजपा में शामिल हुए पूर्व विधायक टी राम, खादी ग्रामोद्योग के सदस्य दिलीप सोनकर, पूर्व विधायक स्व. छन्नूलाल शास्त्री के बेटे अजय शास्त्री सहित अन्य दावेदार भाजपा से सक्रिय हैं। ऐसे में अब अजगरा की सियासत पर लोगों की खास निगाह भी बनी हुई है।



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