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महाराष्ट्र सरकार मराठी को गंभीरता से बढ़ावा दे : बॉम्बे हाई कोर्ट

महाराष्ट्र सरकार मराठी को गंभीरता से बढ़ावा दे : बॉम्बे हाई कोर्ट

महाराष्ट्र। महाराष्ट्र सरकार को मराठी भाषा को बढ़ावा देने के लिए अपनी नीति को गंभीरता से लागू करना चाहिए, बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य में सरकारी वकील भर्ती परीक्षा को मराठी में भी आयोजित करने का निर्देश दिया है। निर्देश देते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार को मराठी भाषा को बढ़ावा देने के लिए अपनी नीति को गंभीरता से लागू करना चाहिए। न्यायमूर्ति एस वी गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति आर एन लड्ढा की खंडपीठ ने प्रताप जाधव की याचिका पर सात सितंबर को आदेश पारित किया, जिसमें लोक अभियोजकों के पदों के लिए परीक्षा केवल अंग्रेजी के बजाय मराठी में भी आयोजित करने की मांग की गई थी। शनिवार को आदेश को जारी कर दिया गया।

प्रताप जाधव ने कहा था कि उसने स्कूल से ही मराठी भाषा में अपना एजुकेशनपूरा किया था और न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी तथा सिविल न्यायाधीश (जूनियर डिवीजन) की कोर्ट में आमतौर पर मराठी भाषा में ही कार्यवाही होती है। उन्होंने कहा कि मराठी स्थानीय भाषा है। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि महाराष्ट्र सरकार को इस विषय को गंभीरता से लेना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि परीक्षा 11 सितंबर 2022 को निर्धारित है और इसलिए इस साल की परीक्षा के लिए आदेश पारित करना संभव नहीं है।बता दें कि कोर्ट ने आगे कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि लोक अभियोजकों के लिए होने वाला अगला एग्जाम इंग्लिश के साथ-साथ मराठी भाषा में भी आयोजित की जाएगी। उसके आदेश से महाराष्ट्र की भाषा मराठी को बढ़ावा देने की महाराष्ट्र सरकार की नीति को लागू करने में मदद मिलेगी।

जानकारी के अनुसार याचिका में दावा किया गया है कि महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग (एमपीएससी) मराठी के साथ-साथ इंग्लिश भाषा में निचली अदालतों के चयन के लिए एग्जाम आयोजित करता है। अतिरिक्त सरकारी वकील मोलिना ठाकुर ने कोर्ट को बताया कि इस साल सरकारी वकील के पदों के लिए करीब 7,700 कैंडिडेट एग्जाम दे रहे हैं।


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