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अजब करने वाली घटना

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वोक्हार्ट अस्पताल में एक इंजिनियर के दाहिने कान से निकाला ५० ग्राम ट्यूमर

 

मिरारोड – मिरारोड के वोक्हार्ट  अस्पताल में २० वर्षीय एक इंजिनियर के दाहिने कान से ५० ग्राम का ट्यूमर निकाला है। अस्पताल के न्यूरोसर्जन डॉ. विनोद रामबल के नेतृत्व अन्य डॉक्टरों के टीमने रेट्रो मास्टॉयड क्रैनियोटॉमी द्वारा इलाज करके ५० ग्राम ट्यूमर को हटाया है। इस मरीज को वेस्टिबुलर श्वानोमा का निदान हुआ था। इस कारण उसे चेहरे का सुन्न होना और सुनने में तकलीफ हो रही थी।

निशांत खन्ना (बदला हुआ नाम) एक इंजिनियर है। लगभर ६ महिने उन्हे कुछ सुनाई नही दे रहा था। इस कारण वह अपने काम पर ध्यान नही दे पा रहे थे। बाद में उनके चेहरे का दाहिना हिस्सा सुन्न और भारी होने लगा। उन्होंने कई डॉक्टरों को दिखाया पर कुछ असर नही हुआ। तकलीप बढती दिखाई देने पर वह मिरारोड के वॉक्हार्ट अस्पताल दाखिल हुए। यहॉ पर उनका इलाज किया गया।

मिरारोड स्थित  वोक्हार्ट अस्पताल के न्यूरोसर्जन डॉ. विनोद रामबल ने कहॉं की ‘‘मरीज के भाई ने पहले न्यूरोसर्जन से मिलकर मरीज की सेहत के बारे में बताया। एमआयआई जाचं में मरीज की खोपडी में ट्यूमर का पता चला। यह ट्यूमर तंत्रिका से उत्पन्न होता है जो हमारे संतुलन और मुद्रा को नियंत्रित करता है। जिस कारण चेहरा सुन्न पडनाभार लगना और सुनने में दिक्कत होनाऐसी समस्या देती है।’’

डॉ. रामबल ने आगे कहा, ‘‘वैदयकीय जांच में मरीज को वेस्टिबुलर श्वानोमा का निदान हुआ। जो एक सौम्य कपाल तंत्रिका ट्यूमर है जो किसी के कान के पिछे ८ वें कपाल तंत्रिका से उत्पन्न होता है। यह इन उक्त नसों के लिए बाहर निकलता है और यह शुरू में बढ़ता है यह आगे से बढ़ने लगता है। ब्रेन स्टेममिड ब्रेन और पोन्स मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के बीच महत्वपूर्ण कनेक्टिंग जंक्शन हैंजिसके माध्यम से मस्तिष्क की गतिविधि होती है। लगभर २ दशलक्ष घटनाए होती है और आमतौर पर जादातर मरीज ५० से ६० आयुवर्ग में दिखाई देते है। इस तरह के सौम्य ट्यूमर होने का कोई निश्चित कारण नहीं है। इसलिए सर्जरीद्वारा इस ट्यूमर को हटाना एक चुनौतीपूर्ण था। परिवार के संमती लेकर सर्जरी की गई। यह सर्जरी ६ घंटे तक चली। एक सप्ताह के बाद मरीज के सेहत में सुधार देखकर उसे डिस्चार्ज दिया गया।’’

मरीज निशांत खन्ना ने कहॉं की‘‘लॉकडाऊन में घर से ही काम कर रहा था। अचानक मुझे सुनने में तकलीफ होने लगी। कुछ सुनाई न देने के कारण में घबरा गया था। कोरोना के कारण घर से बाहर निकलने में डर लग रहा था। मैं अपनी दैनिक गतिविधिया और काम पर ध्यान नहीं दे पा रहा था। चेहरे पर भारीपन व सुन्नता भी थी। बिघडती सेहत को देखकर मेरी भाई ने मुझे  वोक्हार्ट अस्पताल दाखिल किया। यहा वैद्यकीय जाचं में कान के पिछले हिस्से में टयूमर का पता चला। वॉक्हार्ट अस्पताल के डॉक्टरों ने इलाज करके इस ट्यमुर को हटाकर मुझे नई जिंदगी दी है।’’


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