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देश में कुपोषण को रोकने के लिए आधे के करीब खर्च हो पायी राशि

देश में कुपोषण को रोकने के लिए आधे के करीब खर्च हो पायी राशि

देशभर में ३३ लाख से अधिक बच्चे कुपोषित

मुंबई। कुपोषण भारत की गम्भीरतम समस्याओं में एक है, फिर भी इस समस्या पर सबसे कम ध्यान दिया गया है। आज भारत में दुनिया के सबसे अधिक अविकसित (४.६६ करोड़) और कमजोर (२.५५ करोड़) बच्चे मौजूद हैं। इसकी वजह से देश पर बीमारियों का बोझ बहुत ज्यादा है, हालांकि राष्ट्रीय परिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण-४ के आंकड़े बताते हैं कि देश में कुपोषण की दर घटी है, लेकिन न्यूनतम आमदनी वर्ग वाले परिवारों में आज भी आधे से ज्यादा बच्चे (५१ प्रतिशत) अविकसित और सामान्य से कम वजन (४९प्रतिशत) के है। दूसरी तरफ महिला एवं बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) मंत्रालय द्वारा बीते बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, पोषण अभियान कार्यक्रम के तहत जारी धन, जिसका उद्देश्य देश में कुपोषण पर रोक लगाना है, का गंभीर रूप से कम उपयोग किया जा रहा है। महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा राज्यसभा में पेश किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि केंद्रीय कोष से देश में पोषण अभियान के लिए जारी किए गए ५,३१,२७९.०८ लाख रुपये में से केवल २,९८,५५५.९२ लाख रुपये का ही उपयोग किया गया है।

गौरतलब हो कि आंकड़े बताते हैं कि मार्च २०२१ तक पश्चिम बंगाल को जारी किए गए २६,७५१.०८ लाख रुपये में से अब तक किसी भी पैसे का उपयोग नहीं किया गया है। इसी तरह, केंद्र द्वारा उत्तर प्रदेश को जारी किए गए ५६,९६८.९६ लाख रुपये में से राज्य ने इसी अवधि में केवल १९,२१९.२८ लाख रुपये का उपयोग किया है। मध्य प्रदेश ने २०१९ से अब तक जारी ३९,३९८.५३ लाख रुपये में से १९,२१९.२८ लाख रुपये खर्च किए हैं, और राजस्थान ने इस धन का ५० प्रतिशत से भी कम खर्च किया है। जिन ३६ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए मंत्रालय ने डेटा जारी किया है, उनमें से किसी भी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश ने पोषण अभियान के लिए अपने फंड का पूरी तरह से उपयोग नहीं किया है।

ज्ञात हो कि कितने शर्म की बात है कि कुपोषण पर ताजा सरकारी आंकड़े दिखा रहे हैं कि भारत में कुपोषण का संकट और गहरा गया है। इन आंकड़ों के मुताबिक भारत में इस समय ३३ लाख से अधिक बच्चे कुपोषित हैं। इनमें से आधे से ज्यादा यानी कि १७.७ लाख बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं। गंभीर रूप से कुपोषित बच्चे सबसे ज्यादा महाराष्ट्र, बिहार और गुजरात में हैं। इस बात की जानकारी महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने एक आरटीआई के जवाब में दी है। मंत्रालय ने समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा एक आरटीआई के जवाब में कहा कि यह ३४ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के आंकड़ों का संकलन है।



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