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वॉक्हार्ट अस्पताल द्वारा पक्षाघात के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सर्व्हायव्हर ग्रुप तैयार

वॉक्हार्ट अस्पताल द्वारा पक्षाघात के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सर्व्हायव्हर ग्रुप तैयार


पिछले दो साल में अब तक २३० स्ट्रोक मरीजों का इलाज

 

मिरारोड :- स्ट्रोक के बारे में जागरूकता निर्माण करने के लिए वॉक्हार्ट अस्पताल द्वारा सर्व्हायव्ह ग्रुप बनाकर एक विशेष परिसंवाद का आयोजन किया गया था। इसमें ३० ठिक हुए स्ट्रोक मरीजों ने हिस्सा दिया था। इस कार्यक्रम में स्ट्रोक को हराकर नई जिंदगी जीने वाले शीन फिगारेडा मुख्य अतिथी थे। इस कार्यक्रम के दौरान ३० मरीजों को सम्मानित किया गया|

पक्षाघात मस्तिष्क को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति करने वाली रक्त वाहिकाओं में एक गांठ या टूटने के कारण होता है। पक्षाघात दो प्रकार का होता है। इस्केमिक स्ट्रोक धमनियों में रक्त के थक्कों के बनने के कारण होता है। जब रक्त वाहिकाएं फट जाती हैंतो रक्त प्रवाहित होता है और रक्तस्रावी स्ट्रोक होता है। वर्तमान में युवाओं में स्ट्रोक का खतरा बढ़ रहा है। मुख्य कारण धूम्रपानशराबमधुमेहमोटापाअनुचित नशीली दवाओं के उपयोग और पारिवारिक इतिहास हैं।

मिरारोड के वॉक्हार्ट अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. पवन पै ने कहा, 'हर साल लाखों लोग स्ट्रोक की वजह से अपनी जान गंवा देते हैं। पक्षाघात के मामले मेंमरीज को ५ घंटे के भीतर इलाज करने की आवश्यकता होती है। समय पर इलाज न मिलने पर मरीज की मौत हो सकत हैं। सितंबर २०१९ से सितंबर २०२१ के बीच २३० स्ट्रोक मरीजों का सफलतापूर्वक इलाज हुआ है। इनमें १४४ पुरुष और ८६ महिलाएं थीं। इनमें से ३१-४० आयु वर्ग के २३ मरीज४१-५० वर्ष आयु वर्ग के ३६ मरीज५१-६० वर्ष आयु वर्ग के ५९ मरीज६१-८० वर्ष आयु वर्ग के १०० मरीज हैं। और ८० वर्ष आयु वर्ग के १२ मरीजों का इलाज किया गया है। पक्षाघात के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए एक स्ट्रोक सर्वाइवर्स ग्रुप कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में ३० मरीजों को सम्मानित किया गया। यह आयोजन हर तीन महीने में होगा। ताकि मरीज अपने अनुभव साझा कर सकें।"

स्ट्रोक सर्वाइवर सरोज मेहरा ने कहा, "स्ट्रोक के बाद मुझे ऐसा लगा कि मैं फिर कभी अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पाऊंगी। लेकिन वॉक्हार्ट अस्पताल के डॉक्टरों ने समय पर इलाज कर मुझे नई जिंदगी दी है। अस्पताल द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम ने हमें अपने अनुभव व्यक्त करने के लिए एक मंच प्रदान किया है। ताकि हम अन्य स्ट्रोक मरीजों को धैर्य दे सकें।” 

स्ट्रोक सर्वाइवर शीन फिगारेडो ने कहा, "मुझे इस बीमारी के बारे में तब तक कुछ नहीं पता था जब तक कि मुझे स्ट्रोक नहीं हुआ। लेकिन डॉक्टर के प्रयासों ने मुझे फिर से जीने का मौका दिया है। अस्पताल ने स्ट्रोक मरीजों के समय पर इलाज की आवश्यकता के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए एक स्ट्रोक सर्वाइवर ग्रुप की स्थापना करके एक अच्छी पहल की है।”


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