बसपा प्रत्याशी डॉ सुनीता गौतम के जनसंपर्क से विरोधी हुए चारों खाने चित
बसपा प्रत्याशी डॉ सुनीता गौतम के जनसंपर्क से विरोधी हुए चारों खाने चित
मेहनगर आजमगढ़ जैसा कि हम आपको बता दें कि इस समय नगर पंचायत मेहनगर का चुनाव जोरों पर है हर प्रत्याशी अपना दमखम दिखाने में लगा है वही पर दिग्गज नेता राजनेता को अपने पक्ष में बुलाकर प्रचार कराने में लगे हैं बसपा प्रत्याशी डॉ सुनीता गौतम ने अपने पार्टी के कार्यकर्ता गुड्डू जमाली जो कि मेहनगर में आए और डॉक्टर गौतम के पक्ष में लोगों से अपील की वोट डालने की और पूर्व में चेयरमैन की जो करनी कथनी को सबके सामने बयां किया और चुनाव को देखते हुए यह समीकरण लगाया जा सकता है की अभी तक डॉ गौतम की प्रक्रिया सबसे सहानुभूति और मिलनसार रही है जो कि यह कहीं ना कहीं एक खुशी का सिग्नल व्यतीत हो रही है जैसा कि वर्तमान में नगर पंचायत मेंहनगर में लगभग 12136 मतदाता हैं इनमें मुस्लिम मतदाताओं की एक बड़ी तादात है लगभग 963 अंसारी जुलाहा 675 पठान के अलावा चूड़ी हारा दर्जी कुरेशी हलालखोरआदि हैं गैर मुस्लिमों की संख्या 9034 है जिसमें सर्वाधिक 2512 दलित हैं चौहान 810 क्षत्रिय 714 सोनार 463 मद्धेशिया 418 कहार 398 मौर्या 360 यादव 349 जयसवाल 339 पासी 546 धोबी 164 के अतिरिक्त भूमिहार ब्राह्मण सोनकर दबगढ़ लोहार आदि के लोग भी हैं सातवें चरण में यहां की सीट अनुसूचित महिला हेतु आरक्षित है डॉ सुनीता गौतम पत्नी डॉ भरत गौतम बीएसपी कौशिल्या पत्नी रामबदन कनौजिया निर्दल ,गुलइचा पत्नी राम लखन पासवान बीजेपी एवं कांग्रेस उम्मीदवार दुलारे सरोज की पत्नी मैदान में अपना अपना भाग्य आजमाने उतरी हैं यह चुनाव त्रिकोणी हो सकता है रामबदन कनौजिया व अशोक चौहान की जोड़ी ने विगत 10 वर्षों से अध्यक्ष पद पर कब्जा जमा रखा था और मिली जुली सरकार चलाएं जिससे कुछ नए लोगों को जोड़ने में कामयाब रहे वही बहुतायत में पुराने समर्थक इनके पाले से खिसकते नजर आ रहे हैं आरक्षित सीट के चलते जो प्रत्याशी चुनाव मैं नहीं उतर पाए हैं उन्हें व अन्य लोगों को इस जोड़ी के क्रियाकलाप से यह खतरा लगने लगा है कि यह लोग ही हमेशा मेहनगर की सीट पर कब्जा जमाए रखेंगे और अन्य को मौका नहीं देंगे दूसरी बात सत्तासीन व्यक्ति के प्रति लोगों की सोच नकारात्मक होने लगती है उनकी अपेक्षाओं पर खरे न उतरना भेदभाव पूर्ण व्यवहार मूलभूत सुविधाओं में पक्षपात पूर्ण रवैया सत्ता का दम्भ उनके तिलस्म को निष्प्रभावी बना देता है और लोगों का मोह भंग होने लगता है लोग नए चेहरे की तलाश करने लगते हैं यह नगर भी इस बात से अछूता नहीं है इसके अलावा दलित समाज में एक अव्यक्त पीड़ा कि दिखाई पड़ रही है उनके अपने समाज का कोई व्यक्ति अभी तक निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं बन पाया है जबकि उनकी जनसंख्या अल्पसंख्यकों के बाद सर्वाधिक है डॉ सुनीता गौतम उनके समाज की एकमात्र उम्मीदवार हैं जो एक पढ़ी लिखी तेजतर्रार व व्यवहार कुशल महिला है उन्हें किसी के कंधे के सहारे की जरूरत नहीं है अपितु स्वयं में कार्यभार संभालने में सक्षम है पेशे से डॉक्टर होने के नाते लोगों से जान पहचान का लाभ भी इन्हें मिलने की संभावना है यह सामाजिक कार्यों में हमेशा बढ़-चढ़कर हाथ बटाती रही है तीसरी उम्मीदवार गुलइचा देवी पत्नी राम लखन पासवान भाजपा प्रत्याशी है पति पत्नी पूर्व में नगर अध्यक्ष रह चुके हैं इनकी सरलता सादगी की चर्चा लोगों में है किंतु इनके कार्यकाल में कुछ प्रभावी लोग हावी रहे हैं जिसके चलते लोगों में यह धारणा बन रही है कि पुनः चुने जाने पर प्रभावी लोग ही हावी रहेंगे तीसरे उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस की मनोज सरोज की माता ने पर्चा भरा है इनका प्रथम प्रयास है अब देखना यह है कि जनता क्या निर्णय लेती है एक पढ़ी-लिखी तेजतर्रार व्यवहार कुशल महिला जो सबका साथ सबका विकास वाली बात करती हैं और अध्यक्ष के पद पर आसीन होती हैं या मिली जुली सरकार चलाने वाले लोगों के प्रत्याशी को चुना जाता है जिनके हाथ में बंदूक तो रहेगी किंतु ट्रिगर पर उंगलियां औरों की होगी या फिर ऐसे प्रत्याशी को सम्मान देती है जिनका 10 वर्षों का जीवन उदासीनता व दूसरों के प्रभाव में बीताहो। मतदाता खामोशी से प्रत्येक पहलू का आकलन कर रहा है और मतों के ठेकेदार अपने अपने निहित स्वार्थ के मद्देनजर अपने प्रत्याशियों का रुतबा बुलंद कर रहे हैं जबकि आम मतदाता वक्त के साथ-साथ काफी सतर्क समझदार हो चला है और अपनी पैनी दृष्टि से निरीक्षण कर रहा है निर्णय भविष्य के गर्त में है,,,,,,