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पालघर के चीकू पूरी दुनिया मे है प्रसिद्ध, किसान रेल सेवा से चीकू 24 घंटे के भीतर पहुँचे रहे दिल्ली

पालघर के चीकू पूरी दुनिया मे है प्रसिद्ध, किसान रेल सेवा से चीकू 24 घंटे के भीतर पहुँचे रहे दिल्ली

राज्य का कृषि विभाग लगातार चीकू के उत्पादकों को बाजार उपलब्ध करवाने के लिए है गतिशील

पालघर  पालघर का चीकू अपनी मिठास और बेहतरीन उत्पादन के लिए पूरी दुनिया में चर्चित है। जिले में करीब 5000 हेक्टेयर भूभाग पर चीकू की खेती होती है। जिले में चीकू उत्पादकों में डहाणू तालुका अग्रणी है। चीकू के उत्पादन में करीब 25000 हजार लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलता है। पालघर से चीकू की सप्लाई देश के साथ-साथ विदेशों में की जाती है। चीकू स्थानीय किसानों की कमाई का मुख्य जरिया है।जिले में करीब 100 टन चीकू का उत्पादन रोजाना होता है। जो 200 टन तक भी पहुँच जाता है। राज्य सरकार लगातार चीकू के किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए कार्य कर रही है 
साल 2016 में भारत सरकार ने चीकू के लिए GI टैग देकर, राष्ट्रीय स्तर पर एक पहचान दिलाई थी। जिससे यहां के चीकू के उत्पादन करने वाले किसानों में एक नई उम्मीद जगी थी। राज्य सरकार के प्रयासों से अब किसान रेल द्वारा पिछले साल से दहानू से दिल्ली तक चीकू का परिवहन रियायती दरों पर शुरू किया गया है। दहानू क्षेत्र से लगभग 35,000 टन चीकू पिछले साल दिल्ली पहुँचाया गया है और यह सेवा कोरोना जैसी प्राकृतिक आपदाओं और उसके बाद की स्थिति में किसानों के लिए एक वरदान साबित हो रही है। किसान रेलवे सेवा 28 जनवरी 2021 से दहानू से शुरू हुई थी। शुरुआत में, ट्रेन दहानू से छह कोच और गुजरात से चीकू के बॉक्स
को लोड करके 22 से 24 घंटे में दिल्ली पहुंच रही है। इससे क्षेत्र के चीकू के किसानों को बड़ी राहत मिली है।
जनवरी से मार्च 2021 तक दहाणू से 21 वाहनों में 11 लाख 78 हजार चीकू की पेटियों को भेजा गया। कोरोना काल में कुछ समय के लिए सेवा बाधित होने के बाद फिर अप्रैल से दिसंबर तक 123 विशेष किसान ट्रेनों में 23 लाख 38 हजार लाख चीकू पेटियां ढोई गईं। पहले चीकू ले जाने के लिए ट्रकों का इस्तेमाल होता था और इस बीच चीकू को दिल्ली पहुंचने में 30 से 32 घंटे लगते थे। इस दौरान चीकू दब भी जाते थे। चीकू चार से पांच दिनों में पक जाते है।और गर्म मौसम में खराब भी हो जाते थे। जिससे किसान रेल सेवा बहुत ही उपयोगी सिद्ध हो रही है। दहानू-घोलवड़, बोर्डी वानगांव का चीकू 15 से 22 रुपये किलो बिक रहा है। पहले चीकू को ट्रक से ले जाने का खर्च 5-6 रुपये प्रति किलो था। लेकिन रेल सेवा से चीकू परिवहन के खर्च में काफी कमी आई है। किसानों ने रेलवे की रियायती माल ढुलाई परिवहन सेवा को जारी रखने के लिए बजट में प्रावधान करने की मांग की है।
चीकू आलू की तरह दिखने वाला फल है, जो हर मौसम में आसानी से मिल जाता है। चीकू को सपोटा भी कहते हैं। चीकू को कई गुणों की खान माना जाता है। चीकू पेट की समस्याओं को दूर करने के साथ हेल्दी तरीके से वजन कम करने में मदद करता है। चीकू में मौजूद ऐंटी ऑक्सिडेंट्स और ऐंटी इंफ्लेमेंट्री एजेंट होने की वजह से यह कब्ज, दस्त जैसी कई समस्याओं को दूर करने में मददगार है।

चीकू से बनते है दर्जनों प्रोडक्ट्स

चीकू से तरह-तरह के प्रोडक्ट्स भी बनाये जाते है। जैसे कि चीकू के चिप्स, अचार,मिठाई,फूड बियर आदि। तथा डहाणू के बोर्डी इलाके में हर साल चीकू के फेस्टिवल का आयोजन भी होता है। जो काफी प्रसिद्ध है। और इसे देखने के लिए लोग दूर दूर से आते है।रेल सेवा से चीकू को कम समय मे दिल्ली जैसे राज्यो में भेजने में मदद मिली है। इससे फल की गुणवत्ता में काफी हद तक वृद्धि भी हुई है, जिसका फायदा किसानों को मिल रहा है। चीकू को भेजने के लिए ऐसी सेवाओं को अन्य राज्यो के लिए भी उपलब्ध करवाया जाना चाहिए।

संजय तिवारी-चीकू उत्पादक-दहानू


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