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कोरोना की मार से कराह रहे नमक उत्पादक

कोरोना की मार से कराह रहे नमक उत्पादक

नमक उत्पादकों पर कोरोना और मौसम की दोहरी मार

चौपट होने की कगार पर नमक के उत्पादन का व्यवसाय

पालघर। पालघर आने वाले दिनों में आपकी डायनिंग टेबल से नमक नदारद हो सकता है। क्योंकि बार-बार बदलते मौसम का असर नमक के उत्पादन पर भी पड़ता दिख रहा है। बीते दो वर्षों से कोरोना वायरस का असर देश भर के बड़े-बड़े उद्योग-धंधों के साथ ही छोटे व्यवसायों पर भी पड़ा है। इनमें से ही एक है नमक के उत्पादन का व्यवसाय जो कि अब चौपट होने की कगार पर है। क्योंकि रुक-रुक कर हो रही बेमौसम बरसात से नमक उत्पादकों को भारी नुकसान होने की संभावना है। पालघर और ठाणे के तटीय क्षेत्रों में हजारो एकड़ में नमक के उत्पादन का उत्पादन होता है। इसके लिए सितंबर महीने में जमीन को लेबल करने का कार्य किया जाता है। और अप्रैल महीने में नमक को निकालने का कार्य शुरू हो जाता है, लेकिन शनिवार को हुई हल्की  बे मौसम बरसात ने नमक उत्पादकों की चिताएं बढ़ा दी है। क्योंकि अगर ज्यादा बारिश हुई तो नमक के लिए समुंदर का जो खारा पानी क्यारियों में जमा किया गया है,वह बिना नमक में तब्दील हुए समुंदर में बह जाएगा। जिससे नमक उत्पादकों को करोड़ों का नुकसान होगा। नमक उत्पादकों का कहना है,कि बीते कुछ वर्षों में जहां नमक के उत्पादन में लागत बढ़ी है,तो वही मुनाफे मे भारी गिरवाट आई है। जिससे यह पहले से ही आर्थिक संकट के घेरे में है। नमक उत्पादक करने वाले एक व्यवसायी ने बताया कि बरसात के मौसम में नमक का उत्पादन ठप हो जाता है।यही कारण है कि अक्टूबर से जून तक ही यह काम हो पाता है। अगर बार-बार बे मौसम बरसात की बार-बार स्थितित रही तो हमें बीच में ही काम को बंद करना होगा।


बरसात हुई तो पानी मे बह जायेगे उत्पादकों के अरमान

महाराष्ट्र में मौसम का मिजाज बदलने लगा है। मौसम विभाग के अनुसार आने वाले दिनों में बारिश भी हो सकती है। ऐसे में बरसात को लेकर नमक उत्पादक भयभीत है।

नमक उत्पादक कोरोना की मार से पहले से संकट में है। ऐसे में पाबंदियों में ढील मिलने के बाद उन्हें उम्मीद थी,कि वह इस वर्ष अच्छा मुनाफा कमाएंगे । लेकिन इस बार मौसम का मिजाज लगातार करवट ले रहा है। जिससे हजारों नमक उत्पादकों को चिंता है,कि वह इस बार अपना उत्पादन ले पाएंगे की नही।

50 हजार लोगो को मिलता है रोजगार

पालघर-ठाणे के तटीय क्षेत्रों में हजारों एकड़ में नमक का उत्पादन किया जाता है। जिसकी शुरुआत सितंबर-अक्टूबर से होती है। इस दौरान जून तक नमक के उत्पादन में 50 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है। अगर नमक उत्पादन पर असर पड़ता है,तो ऐसे लोगों का प्रभावित होना तय है।

ऐसे बनता है, नमक-

समुद्र का पानी क्यारियों में भरने के बाद पानी को धूप में सुखाया जाता है, धूप में सूखने के कारण सारा पानी वाष्पित हो जाता है और पानी के सूखने के बाद क्यारियों में सिर्फ नमक बचा रह जाता है। जिसके बाद उस नमक को जमा कर लिया जाता है और उसकी सफाई की जाती है।

राज्य से बाहर भी होती है सप्लाई

ठाणे-पालघर से हजारों ट्रक का नमक का उत्पादन राज्य के साथ-साथ आंध्र प्रदेश-कर्नाटक सहित अन्य राज्यों में सप्लाई किया जाता है। साथ ही यहां के नमक को पावर प्लांट, ऑयल रिफाइनरीज, सोलर पावर कंपनियों, केमिकल मैन्युफैक्चरर्स, टेक्सटाइल मेकर्स, दवा निर्मात कंपनियों और चमड़ा उद्योग के काम मे बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है।

लॉकडाउन के कारण बीते वर्ष नमक को निकालने के लिए श्रमिक नही मिले थे। जिससे भारी नुकसान हुआ था। और उत्पादन एक चौथाई रह गया था। इस वर्ष बे मौसम बरसात ने शुरू में ही नमक के उत्पादकों की समस्या बढ़ा दी है। तटीय क्षेत्रों में हज़ारों की संख्या में नमक उत्पादन से लोग जुड़े हुए है। ऐसे में किसानों की तरह सरकार नमक उत्पादकों को भी होने वाले नुकसान की भरपाई करें।

जयकुमार भाय-सदस्य पालघर जिला नमक उत्पादन संघ



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