Breaking News

जनजातीय क्षेत्रों में कोरोना के टीका को लेकर फैली भ्रांतियों को दूर करने के लिए महाराष्ट्र मे पहली बार विद्यार्थियों ने संभाला मोर्चा

जनजातीय क्षेत्रों में कोरोना के टीका को लेकर फैली भ्रांतियों को दूर करने के लिए महाराष्ट्र मे पहली बार विद्यार्थियों ने संभाला मोर्चा

10 हजार से ज्यादा छात्रों ने टीका लगवाने के लिए की भावनात्क अपील
पालघर में आदिवासी छात्र-छात्राओं ने माता-पिता को कोरोना का टीक लेने की गुहार के साथ भेजे जागरूकता पोस्टकार्ड
103 स्कूलों के छात्रों की अनूठी पहल

कोरोना संक्रमण की पहली और दूसरी लहर पर नियंत्रण पाने वाले पालघर जिला प्रशासन ने डेल्टा वेरिएंट से भी ज्यादा खतरनाक बताए जा रहे ओमायक्रोन वेरिएंट को गंभीरता से लेते हुए सभी सावधानियां बरतनी शुरु कर दी है। लेकिन पालघर के जनजातीय क्षेत्रों में कई भ्रांतियों के कारण आज भी टीकाकरण की गति को बढ़ाना प्रशासन के लिए एक चुनौती बनी हुई है। अब टीकाकरण की गति को बढ़ाने के लिए एकात्मिक आदिवासी विकास प्रकल्प (ITDP) की ओर से संचालित आश्रम स्कूलों (बोर्डिंग स्कूल) में पढ़ने वाले 5 वी से 12 वी तक के आदिवासी छात्र-छात्राओं ने मोर्चा संभाल लिया है। छात्रों ने एक अनूठी पहल करते हुए अपने माता-पिता को कोविड-19 टीकाकरण को लेकर जागरूक करने के लिए पोस्टकार्ड पर लिखे संदेश भेजकर अपील की है,कि आप हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए टीकाकरण अवश्य करवाये। साथ ही सामाजिक दूरी का पालन करते हुए मास्क और सैनिटाइजर का उपयोग करें।

10 हजार से ज्यादा छात्र छात्राओं ने भेजे पोस्टकार्ड
जिले के करीब 40 आश्रम स्कूलों के लगभग 10 हजार से ज्यादा आदिवासी छात्रों ने 50 पैसे के पोस्टकार्ड पर अपने माता-पिता को संदेश लिखा, "चलो टीकाकरण करवाएं और कोविड-19 के संक्रमण को फैलने से रोकें। जिले में कुल 103 आदिवासी आश्रम स्कूल है।सभी आश्रम स्कूल के छात्र अपने परिजनों को ऐसे ही पोस्टकार्ड पर लिखे संदेश भेजकर टीका लगवाने की अपील कर रहे है।

बतादे कि तलसारी,मोखाड़ा जव्हार सहित कई आदिवासी क्षेत्रों के अधिकांश आदिवासी अभी भी अफवाहों के कारण टीकाकरण से डरते हैं। बच्चों की इस सार्थक पहल की अधिकारियों और लोगों ने प्रशंसा की है।

राज्य मे छात्रों की पहली सार्थक पहल
दहानू की एसडीएम और आदिवासी विकास प्रकल्प की परियोजना अधिकारी आशिमा मित्तल ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान यह अपनी तरह का राज्य का पहला मामला है जिसमें आदिवासी छात्रों ने अपने माता-पिता को पत्र लिखकर टीकाकरण के लिए जागरूक कर टीका लेने की भावनात्मक अपील कर रहे है।
उन्होंने कहा कि छात्र अपने भेजे संदेश में परिजनों को बता रहे है,कि उनके सभी शिक्षकों ने टीका लगवाया है और वह सुरक्षित है। आप भी कोरोना के संक्रमण से बचने के टीका जरूर लगवाए।
आशिमा मित्तल ने कहा कि जनजतीय क्षेत्रो में कुछ भ्रांतियों के कारण टीकाकरण की गति कम है।  पालघर के जिलाधिकारी डॉ. माणिक गुरसल ने टीकाकरण की गति बढ़ाने के लिए लोगों में जागरूकता बढ़ाने की सलाह दी थी। जिसके बाद छात्रों ने अभिभावकों से कोरोना का टीका लगवाने की भावनात्मक अपील की है। मित्तल ने उम्मीद जताई कि इस पहल से जनजातीय क्षेत्रों के लोगों में टीकाकरण के प्रति जागरूकता पैदा होगी और टीकाकरण की गति भी बढ़ेगी।

आठवीं कक्षा की छात्रा सरू गोरखाना ने कहा कि उनके द्वारा भेजा गये पोस्टकार्ड में लिखे संदेश को उनके अनपढ़ माता-पिता नही पढ़ सकते थे। इसलिए उन्होंने पड़ोसियों और रिश्तेदारों को पोस्टकार्ड पढ़ने के लिए दिया। जिससे जागरूकता संदेश माता- पिता सहित पड़ोसियों और रिश्तेदारों को भी मिला।

छात्र-छात्राओं की मदद से होगी टीका क्रांति
कोरोना महामारी की पहली लहर में पालघर के आदिवासी ज्यादा प्रभावित नहीं हुए थे। लेकिन दूसरी लहर ने आदिवासी समुदायों को भी नहीं बख्शा, क्योंकि कोरोना वायरस ग्रामीण भागों के सबसे दूर-दराज के इलाकों में भी पहुंच गया था। जिसे देखते हुए जिला प्रशासन ने यहां टीकाकरण के लिए अनेक कार्यक्रम चलाए, टीकाकरण शिविर भी लगाए। लेकिन कह सकते हैं कि इस बारे में आदिवासी समुदाय ने ज्यादा उत्साह नहीं दिखाया। लेकिन अब आदिवासी छात्र-छात्राओं द्वारा अपने माता पिता और रिश्तेदारों में चलाए जा रहे जागरूकता संदेश से टीकाकरण के सफल होने की उम्मीद जगी है।


Most Popular News of this Week