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शिक्षिका ने स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों की तकदीर ही नहीं, विद्यालय की तस्वीर भी बदल दी

शिक्षिका ने स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों की तकदीर ही नहीं, विद्यालय की तस्वीर भी बदल दी

पालघर : बच्चों का भविष्य गढ़ने में शिक्षकों की मेहनत और जज्बे का कोई सानी नहीं होता। ऐसे कई शिक्षक हैं, जो नौनिहालों को काबिल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। पहाड़ियों और  जंगलों से घिरे पालघर जिला परिषद के कांद्रेभुरे प्राथमिक स्कूल में बतौर शिक्षिका तैनात जागृति चौधरी ने कुछ वर्षों में अपने जुनून और इच्छाशक्ति से सरकारी स्कूल का कायाकल्प कर दिया। उन्होंने स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों की तकदीर ही नहीं, विद्यालय की तस्वीर भी बदल कर रख दी है। नतीजतन स्कूल में बच्चों की संख्या भी बढ़ने लगी है। यहां पढऩे वाले बच्चे स्कूल से घर जाने का नाम नहीं लेते हैं। विद्यालय में प्रवेश करते ही लगता ही नहीं कि हम किसी सरकारी स्कूल में आ गए हैं। विद्यालय का अनुशासन और रख-रखाव किसी कॉन्वेंट स्कूल जैसा ही नजर आएगा।

यहां बच्चों के बैठने की बेहतर व्यवस्था तो की ही गई है,साथ ही यहां शिक्षकों के साथ ही स्कूल की दीवारों पर लिखे सुविचार भी बच्चों को जागरूक बनाने में सहयोग कर रहे हैं। स्कूल में एक बहुत खूबसूरत छोटा सा गार्डन भी है,जिसमे बैठकर बच्चे पढ़ाई तो करते है। पर्यावरण में पेड़ पौधों को का क्या महत्व है,यह भी आसानी से सीखते है।

विद्यार्थी मेरा गुरु नामक चलाया अभियान

कोरोना काल में शिक्षा पर बहुत बुरा असर पड़ा। बच्चों की पढ़ाई रुक गई। जिसके बाद ऑनलाइन शिक्षा का दौर शुरू हुआ। लेकिन कांद्रेभुरे प्राथमिक स्कूल के आस-पास आदिवासी और गरीब लोग बड़ी संख्या में रहते है। जिनके बस में स्मार्टफोन खरीदना नही था। ऐसे बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो इसके लिए जागृति चौधरी ने शिक्षा देने की तैयारी शुरू कर दी। और उन्होंने 'विद्यार्थी मेरा गुरु' नामक अभियान शुरू किया। इस अभियान के तहत बच्चों के गांव के ही पढ़े लिखे युवक युवतियों को वाट्सएप अकाउंट बनाकर इनका नंबर जोड़ा। और उन्हें कोविड़ प्रोटोकॉल का पालन करते हुए, बच्चों को वर्गों में बांटकर पढ़ाने के लिए प्रेरित किया। इन सभी का खर्च भी जागृति चौधरी ने खुद ही उठाया। 

जागृति चौधरी कहती है,कि पिता की प्रेरणा से ठान लिया था,कि विद्यालय में कुछ अलग हटकर किया जाए, ताकि प्राइमरी के बच्चों को भी कॉन्वेंट की तरह शिक्षा मिल सके। इसलिए अतिरिक्त प्रयास करना शुरू किया। शुरूआत में थोड़ी दिक्कत जरूर आई, लेकिन बाद में स्थानीय लोगों का भी सहयोग मिलने लगा और विद्यालय का माहौल बदल गया।

सरकारी स्कूल के चर्चाओं में आने के बाद निजी संस्थाओं ने भी बढ़ाया मदद का हाथ

कांद्रेभुरे प्राथमिक स्कूल के चर्चाओं में आने के बाद कई निजी संस्थाओं ने भी इस स्कूल के मदद में हाथ बढ़ाया है। शिक्षिका जागृति चौधरी कहती है,कि अब तक करीब 15 लाख का सामन निजी संस्थाओं ने स्कूल को दिया है। जिससे स्कूल में छात्रों को पठन-पाठन की बेहतर व्यवस्था करने में मदद मिली है।

स्कूल को मिला आईएसओ प्रमाणित सर्टिफिकेट

पालघर जिला परिषद के कांद्रेभुरे स्कूल की व्यवस्था और छात्रों की प्रतिभाओं को देखते हुएहाल ही में  आईएसओ 9001- प्रमाण पत्र मिल गया है। यह प्रमाण पत्र अंतर्राष्ट्रीय गुणावत का प्रतीक है। यह ऐसी संस्थाओं को दिया जाता है, जिन्होंने अपनी शिक्षा पद्धति को उन्नत बनाने में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं साथ ही उच्च स्तर की सुविधाएं प्रदान की है। 

घर-घर तक शिक्षा का दीप जलाने का उद्देश्य है। ग्रामीणों और कई निजी संस्थाओं का इस कार्य मे पूरा सहयोग मिल रहा है। : - जागृति चौधरी-शिक्षिका

कांद्रेभुरे प्राथमिक स्कूल ने आईएसओ प्रमाणपत्र पाकर शिक्षा क्षेत्र में एक आदर्श स्थापित किया है। अन्य स्कूलों को भी इससे प्रेरणा मिलेगी। जिले के सभी स्कूलों को छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देकर आईएसओ प्रमाण पत्र पाकर सम्मानित होना चाहिए। : - वैदेही वाढन-अध्यक्षा जिला परिषद पालघर


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