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महंगाई की मार से दम तोड़ गई योजना

महंगाई की मार से दम तोड़ गई योजना

पालघर में उज्ज्वला का उजाला खत्म,दोबारा फिर चूल्हा फूंकने को मजबूर महिलाएं

केंद्र सरकार ने मिट्टी के चूल्हे और उससे फैलने वाले धुएं को खत्म करने उद्देश्य से गरीबों को उज्जवला योजना के तहत मुफ्त में गैस सिलेंडर बांटे थे। लेकिन अब घरेलू गैस की बढ़ती कीमतों व सब्सिडी बंद होने के कारण ज्यादातर गरीब परिवारों नेे सिलेंडर भरवाने बंद कर दिए। और सिलेण्डर घरों के एक कोने में धूल फांक रहे है। जिससे पालघर में उज्ज्वला का उजाला खत्म होता दिख रहा है। और यहां महिलाएं दोबारा चूल्हा फूंकने को मजबूर है। गैस का सिलेंडर गरीबों की पहुंच से बाहर 900 रुपए के पार पहुंच गया है। इससे उज्जवला योजना के लाभार्थियों में निराशा है। रसोई गैस के बढ़ते दामों के चलते कई आदिवासी परिवारों ने सिलेंडर भरवाने बंद कर दिए हैं।

उज्जवला योजना में कई परिवारों ने जब कनेक्शन लिए थे तो रसोई के दाम ज्यादा नहीं थे, मुफ्त में सिलेण्डर बांटे जा रहे थे लेकिन आज  बढ़ते दामों के चलते स्थिति यह हो गई कि मेहनत-मजदूरी करके परिवार चलाने वालों के लिए सिलेंडर भरवाना भारी पड़ने लगा है।

आदिवासियों ने सब्सिडी बंद होते ही सिलेंडर लेना किया बंद

पालघर के दहानू,तलासरी,जव्हार,मोखाडा,विक्रमगढ़ जैसे इलाको में रहने वाले बड़ी संख्या में आदिवासी परिवारों ने सरकार ने जैसे ही सब्सिडी बंद की रिफिल लेनी ही बंद कर दी। सिलेंडर महंगा होने की वजह से ज्यादातर लाभार्थियों ने लकड़ी जलाने में ही भलाई समझी। शहरी क्षेत्रों में तो फिर भी स्थितित ठीक है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में तो स्थितित काफी खराब है। ऐसे में अब कई परिवारों की रसोई फिर से मिट्टी के चूल्हे व लकड़ी से जलने लगी है। रसोई का धुआं फिर से पूरे घर में भरने लगा है। उज्ज्वला योजना का पहला चरण सितंबर 2019 में पालघर जिले में बंद कर दिया गया था।  दूसरे चरण की योजना को वंचित वर्गों के लिए शुरू किया गया था।हालांकि दूसरे चरण में योजना के मापदंड और शर्तें कड़ी होने के कारण अब तक कम ही लाभार्थियों को इसका लाभ दिया जा सका है।

यह थी योजना

उज्जवला योजना के तहत चूल्हा रेगुलेटर और पाइप के करीब 17 सौ रुपए लिए जाने थे। यह पैसा उपभोक्ता से नहीं लेकर उन्हें लोन दिया गया। बाद में सिलेंडर पर मिलने वाली सब्सिडी से इस रकम की भरपाई होनी थी। उस समय तो सिलेंडर 600 रुपए और सब्सिडी 250 रुपए जमा हो रही थी। यह अनुदान उपभोक्ता को नहीं मिल कर चूल्हे की कीमत में समायोजित होना था। लेकिन धीर-धीरे सब्सिडी खत्म हो गई। और उज्ज्वला योजना अपना प्रभाव भी खोने लगी। 

" सिलेंडर की बुकिंग करने वाले लाभार्थियों को उज्ज्वला गैस योजना के तहत सिलेंडर प्रदान किया जाता हैं। लेकिन वर्तमान में बुकिंग पहले की तुलना में कम है।  बहुत से लोग सिलेंडर नहीं लेते हैं क्योंकि उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। " सुनील शहा- जय अंबे गैस एजेंसी पालघर


"बढ़ती महंगाई से परिवार को पालना मुश्किल हो गया। ऐसे में इतना महंगा गैस सिलेंडर कहां से भरवाएं। इसलिए सब्सिडी बंद होने के बाद फिर से चूल्हे का सहारा लिया है।"  कमल कामडी - गृहणी देवखोप


"सब्सिडी बंद होने और सिलिंडर के दाम बढ़ने से रसोई का बजट काफी बढ़ गया। इसलिए पहले की तरह फिर से चूल्हे पर खाना पकाने को छोड़कर हमारे पास दूसरा विकल्प नही रहा। " भारती नीलेश गायकवाड़ - गृहणी कासा


उज्ज्वला योजना के लाभार्थी


 तालुका - प्रथम चरण -दूसरा चरण  

 दहानू -    19442 -       383

 जवाहर - 10082 -       1203

 मोखाडा- 4835 -          769

 पालघर - 31392 -         78

 तलासरी - 2461 -         31

 वाडा - 23687 -           96

 वसई - 4819 - -

 विक्रमगढ़ - 16003 -     2387

 कुल - 112721 -        4947



 कंपनी द्वारा प्रदान किया गया गैस कनेक्शन

 कंपनी -प्रथम  चरण - दूसरा चरण 

 भारत गैस - 44633 - 1675

 एचपी गैस - 52578 - 3156

 इंडियन ऑयल गैस - 15510 - 116


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