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पालघर ने रचा कीर्तिमान मनरेगा में रोजगार देने में राज्य भर में रहा अव्वल

पालघर ने रचा कीर्तिमान मनरेगा में रोजगार देने में राज्य भर में रहा अव्वल

59,770 परिवारों को कुल 16,46,211 दिन का काम दिया गया

कोरोना काल में लॉकडाउन के कारण देश में स्थिति बेहाल है। इस बीच पालघर में इस साल सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार मिला है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) कार्यों में पालघर जिला आदिवासी मजदूरों को रोजगार देने में सबसे आगे है। पालघर जिले का मनरेगा योजना में पिछले कुछ वर्षों से उत्कृष्ट प्रदर्शन लगातार जारी है। 2021-22 में राज्य में मनरेगा के तहत आदिवासियों को रोजगार दिलाने के मामले में पालघर पहले स्थान पर रहा । लॉकडाउन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के साथ पालघर में मनरेगा से जुडे कार्यों में बड़ी संख्या में रोजगार श्रृजन हुआ और आदिवासी क्षेत्रों के ग्रामीण कामगारों को इससे जोड़ा गया। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत कम से कम 59,770 परिवारों को कुल 16,46,211 दिन का काम दिया गया। 2020-2021 में, लक्ष्य का 177 प्रतिशत हासिल करने और कोविड-19 महामारी के बावजूद 49,72,811 मानव-दिवस का काम पैदा करने के लिए जिले को राज्य में तीसरे स्थान पर रखा गया। जिले भर में कुल 27,244 मजदूरों को 877 कार्यों में लगाया गया। जिले में चालू वर्ष के लक्ष्य का 70 प्रतिशत हासिल कर लिया है और वित्तीय वर्ष 2020-21 में जिले ने लक्ष्य का 177 प्रतिशत रोजगार सृजित किया है। पिछले चार वर्षों में,औसतन अपेक्षा से अधिक काम लोगों को मिला है। इस वर्ष, 6,227 कार्य पूरे हो चुके हैं। जिसमें काम करने वाले मजदूरों को करीब साढ़े सात लाख मजदूरी मिली है।

पालघर के बाद अमरावती (3072 काम 24 हजार 43 मजदूर), नंदुरबार (1847 काम 9370 मजदूर), औरंगाबाद (1720 काम 9248 मजदूर) और नांदेड़ (916 काम 8482 मजदूर) को काम मिला है।

"यह योजना स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने में कारगर है। एनजीओ के साथ मिलकर आदिवासियों में इसके लिए जागरूकता का अभियान भी चलाया जा रहा है। मनरेगा के तहत जल्द से जल्द लोगों को कार्य उपलब्ध करवाया जा रहा है। जिससे रोजगार के लिए पलायन करने वाले लोगों की संख्या में कमी आई है। ":- सुरेंद्र नवले-उपजिलाधिकारी,पालघर मनरेगा


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