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पालघर के 'मोगरा' की खुशबू से महक रहा महाराष्ट्र, रेट अच्छा मिलने से मालामाल किसान,खिल उठे चेहरे

पालघर के 'मोगरा' की खुशबू से महक रहा महाराष्ट्र, रेट अच्छा मिलने से मालामाल किसान,खिल उठे चेहरे

पालघर में हजारो एकड़ में होती है मोगरा की खेती

पालघर. मोगरा अपनी खुशबू से किसी भी जगह का माहौल खुशनुमा कर देता है। जिससे उसकी शादी- विवाह जैसे कार्यक्रमो और मंदिरों में बहुत ज्यादा मांग होती है।  पालघर के 'मोगरा' की खुशबू से इस समय पूरा महाराष्ट्र महक रहा है। और रेट अच्छा मिलने से मोगरा की खेती करने वाले किसान मालामाल हो रहे है।शादियों की शान कहे जाने वाले मोगरे की इस समय भारी मांग है। और करीब चार सौ रुपये किलो तक मोगरा बिक रहा है विक्रमगढ़,जव्हार, वाड़ा, डहाणू पालघर तालुका मोगरा की खेती के लिए प्रसिद्ध है। यहां से सैकड़ो टन मोगरा रोजाना सूरत, नासिक,दादर सहित अन्य फूल की बाजारों में जाता है। और पालघर के मोगरा की पूरे राज्य में भारी मांग रहती है। हालांकि गुलाब से भी मंहगा बिकने वाले मोगरा का उत्पादन सर्दियों के दिनों कम हो जाता है।,लेकिन रेट अच्छा मिलने से किसानों के चेहरे खिल उठे है।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था की 'संजीवनी है मोगरा

 विक्रमगढ़ के ग्रामीण इलाकों में स्थित खांड, वाकडूपाडा, ओंदे, साखरा, सुकसाले, कुरंझे, उघाणी,उपराले, देहर्जा  उंबरवांगण , साखरे, पोचाडा, वाकी, कावला जैसे गांवों में रहने वाले हजारों आदिवासी मोगरा की खेती करते है। और मोगरा को यहां की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए संजीवनी तक कहा जाता है।

कोरोना काल मे मोगरा को खेतों से निकालने का भी खर्च नही मिल पा रहा है। ऐसे में मोगरा की फसल खेतों में ही सड़ रही थी। लेकिन राज्य सरकार द्वारा कोरोना गाइडलाइन में ढील दिए जाने के बाद मोगरा के अच्छे रेट मिल रहे है। जिससे एक नई उम्मीद जगी है।

किसान हरी तारवी, विक्रमगढ़


फूल बाजारों में मोगरा की भारी मांग है। जिससे मोगरा लेने के लिए व्यापारियों में रेट की प्रतिस्पर्धा भी हो रही है। जिसका फायदा किसानों को मिल रहा है। -  त्रिलोकी पाठक, मोगरा के व्यापारी


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