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प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक का कमाल,वीरान होते गांव में रोक दिया लोगों का पलायन

प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक का कमाल,वीरान होते गांव में रोक दिया लोगों का पलायन

पलायन रुकने से बढ़ी स्कूल में बच्चो की संख्या


ग्रामीणों का पलायन रोकने के लिए उन्हें हरी सब्जियों की खेती करने के लिए किया प्रेरित

पालघर. कहते हैं कि अगर हौसला मजबूत हो और समाज के लिये कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो मंजिल के रास्ते से बड़े से बड़े पत्थर भी हट जाते है। इस कहावत को पालघर के एक सरकारी स्कूल के शिक्षक बाबू मोरे ने सही साबित कर दिखाया है। मोरे ने स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार करने के लिए प्रेरित कर यहां से होने वाले पलायन को बहुत हद तक रोक दिया। जिससे वीरान होते गांवों में चहल-पहल बढ़ गई है। और स्कूल में छात्रों की संख्या भी बढ़ गई। शिक्षक के इस कार्य की लोग प्रशंसा करते नही थक रहे। आदिवासी बहुल विक्रमगढ़ तालुका के डोल्हारी बुद्रुक के खोमरपाडा स्थित सरकारी स्कूल में बाबू चांगदेव मोरे को करीब 8 वर्षो पहले नियुक्ति मिली। मोरे जब यहां पहुँचे तो उन्हें पता चला कि स्कूल में छात्रों की संख्या नही के बराबर है। उन्होंने जब इसका कारण तलाशा तो पता चला कि यहां के जनजातीय क्षेत्रो में रहने वाले आदिवासी परिवार मजदूरी के लिए शहरों की ओर पलायन कर रहे है। और इनके साथ बड़ी संख्या में स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे भी जा रहे है। और वह शिक्षा से वंचित रहकर बाल मजदूरी के जाल में फंस रह है। जिसके बाद बाबू मोरे ने इस समस्या का हल निकालने की ठानी और कृषि विभाग व शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मदद से स्कूल परिसर में खाली पड़ी जगह में लोगो को हरी ताजी सब्जियां उगाने के लिए प्रेरित किया। शिक्षक बाबू मोरे का कहना है, कि शुरू में लोगो को कुछ नया करने के लिए मानसिक रूप से तैयार करना चुनौती थी। लेकिन समझने के बाद गांव के लोग जो अभी तक केवल चावल की खेती पर आश्रित थे वह अब 60 एकड़ में मेहनत से सब्जियों और फूल की खेती कर अच्छी आय प्राप्त कर रहे है। एक ग्रामीण का कहना था, कि शिक्षक बाबू मोरे ने उन्हें रोजगार के साथ ही जीवन को नई राह भी दी है। बाबू मोरे के कार्यो की जानकारी मिलने के बाद मुंबई की अक्षरधारा सहित कई निजी संस्थाओ का उन्हें साथ भी मिला।

स्कूल बंद होने के बाद आदिवासियों को सरकार की योजनाओं को लेकर करते है जागरूक 

बाबू मोरे स्कूल बंद होने के बाद यहां के आदिवासियों को राज्य सरकार की योजनाओं को लेकर जागरूक करते है। और लोगों को मनरेगा सहित अन्य योजनाओं का लाभ कैसे लिया जाए इसके बारे में उन्हें बताते है। बाबू मोरे के कार्य को देखते हुए जल संपदा और मृदा विभाग के अपर सचिव नंदकुमार ने उनसे मुलाकात की और उन्हें मनरेगा का मास्टर ट्रेनर नियुक्त किया। बाबू मोरे ने सरकार के बाल रक्षक अभियान से जुड़कर अब तक 6 से 18 साल तक 100 बच्चों का स्कूल में एडमिशन करवाया है।

लोगों के आत्मनिर्भर होने से उनके पलायन में कमी आई है। जिससे स्कूल में छात्रों की संख्या भी बढ़ी है। घर-घर तक ज्ञान का प्रकाश जलाने का लक्ष्य है।
बाबू चांगदेव मोरे शिक्षक,खोमरपाडा-विक्रमगढ़


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