
पालघर
विदेशी मेहमानों की चहचहाहट से गुलजार हो रहा पालघर पक्षी प्रेमियों ने सुरक्षा घेरा बनाने की मांग
विदेशी मेहमानों की चहचहाहट से गुलजार हो रहा पालघर पक्षी प्रेमियों ने सुरक्षा घेरा बनाने की मांग
पालघर के समुंदर का तटीय क्षेत्र प्रवासी पक्षियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नही है। साल के ज्यादार महीनों में यहां के वसई से लेकर बोर्डी तक के समुद्री तट पर विभिन्न प्रकार के दुर्लभ पक्षियों का जमावड़ा रहता है। पालघर का चिंचणी समुद्री तट इन दिनोंविदेशी मेहमानों की चहचहाहट से गुलजार हो रहा है। "कलहंस"एक शाकाहारी यूरोपीय पक्षी है। और वहां के तापमान में गिरावट आने के बाद कलहंस पक्षियों का समूह हर साल हजारों किमी की यात्रा के बाद अक्टूबर में पालघर के समुद्री तट पर पहुँचते है।कलहंस, हंसों की तरह दिखते है और बत्तखों की तुलना में बड़े होते हैं। पालघर के तटीय क्षेत्रो में भीड़-भीड़ न होने के कारण यह इलाके पक्षियों के नो- डिस्टर्ब जोन माने जाते है। और यहां का उनके लिए मौसम अनुकूल होने के साथ-साथ पक्षियों को तटीय क्षेत्रो में उनका भोजन आसानी से मिल जाता है। पक्षियों के संरक्षण के लिए कार्य करने वाले प्रवीण बाबरे कहते है,कि ठंड के मौसम में यूरोप सहित कई देशों के तापमान में काफी गिरावट आ जाती है। ज्यादा ठंड को कई पक्षी बर्दाश्त नही कर पाते। इसलिए पक्षी यहां के तटीय क्षेत्रों में पहुँचते है।
कलहंश पक्षी के देखे जाने के बाद तटीय क्षेत्रों में गश्त बढ़ा दी गई है। स्थानीय लोगों को जागरूक किया जा रहा है,कि वह कलहंश को किसी तरह क्षति न पहुँचाये। - नीलेश मोरे,वन परिक्षेत्र अधिकारी बोईसर