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कृषि कानूनों की वापसी के बाद भी जारी रहेगा किसानों का संघर्ष,मोदी सरकार कार्पोरेट घराने की एजेंट : - राकेश टिकैत

कृषि कानूनों की वापसी के बाद भी जारी रहेगा किसानों का संघर्ष,मोदी सरकार कार्पोरेट घराने की एजेंट : - राकेश टिकैत



जब तक संसद से कृषि कानूनों की वापसी नही तब तक घर वापसी नही-टिकैत

आदिवासियों का जल-जंगल पर पहला अधिकार



देश के किसानों की मांगो के आगे झुकते हुए हुए पीएम मोदी ने शुक्रवार को एक अप्रत्याशित फैसला लेते हुए तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने का फैसला किया है। कानूनों को लेकर मुखर रहे भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत, भूमि सेना और आदिवासी एकता परिषद की ओर से आयोजित पालघर में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुँचे और तीनो कृषि कानूनों के वापस होने के बाद भी सरकार पर हमलावर रहे। पीएम नरेंद्र मोदी के ऐलान पर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों का आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा। आगे की रणनीति पर चर्चा के लिए किसान संगठनों की महाबैठक शनिवार को बुलाई गई है। इस दौरान टिकैत ने केंद्र सरकर पर कार्पोरेट घराने की दलाली करने का आरोप लगाया।उन्होंने दावा किया कि भाजपा की देश भर में खराब होती छवि, किसानों के बढ़ते विरोध और यूपी चुनाव को देखते हुए सरकार ने तीनों काले कानून वापस लेने का फैसला किया है। लेकिन जब तक संसद से कानून वापस नही लिए जाते और सरकार द्वारा एमएसपी की गारंटी नही दी जाती तब तक हम वापस नही जायेगे। और केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में हमारा संघर्ष जारी रखेंगे। राकेश टिकैत ने कहा एमएसपी में  पूरी तरह से गड़बड़झाला हुआ है। एमएसपी रेट के नाम पर बड़ा भ्रष्टाचार हो रहा है। टिकैत ने कहा कि पालघर में जारी कई परियोजनाओं के लिए आदिवासियों की जमीन ली जा रही है।जबकि जल जंगल पर आदिवासियों का पहला अधिकार है। उन्होंने कहा कि पालघर में बंदरगाह बनाने के लिए पहले तो आदिवासियों से उनकी पहाड़ी और जंगल छीने जायेगे और जब यह बनकर तैयार होगा तो मुनाफा कमाने के लिए इसे अडानी और अंबानी को सौंप दिया जाएगा। इस दौरान बड़ी संख्या में आदिवासी समाज और किसानों के नेता मौजूद रहे।


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