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अस्पतालों में आग लगने की घटना पर कब सही तरीके से होगा इंतजामात?

अस्पतालों में आग लगने की घटना पर कब सही तरीके से होगा इंतजामात?

भोपाल। पूरे देश में कई स्थानों पर आए दिन अस्पतालों में आग लगने की घटना सामने आते रहती है, जो बहुत ही भय की स्थित बन जाती है। इसी तरह मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के हमीदिया अस्पताल में बीते सोमवार रात मौत का ऐसा तांडव मचा, जिसे मरीजों के परिजन कभी नहीं भूल पाएंगे। यहां कमला नेहरू बिल्डिंग की तीसरी मंजिल पर लगी आग ने ७ बच्चों की जान ले ली। यह बिल्डिंग हॉस्पिटल का ही एक हिस्सा है। जब हादसा हुआ, तब लोगों के पास रोने-बिलखने के अलावा कुछ नहीं था। किसी को अंदर नहीं जाने दिया जा रहा था। रेस्क्यू टीम ने लोगों को बमुश्किल बाहर निकाला।
गौरतलब हो कि मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित हमीदिया अस्पताल परिसर में बने सरकारी कमला नेहरु बाल अस्पताल की तीसरी मंजिल के वार्ड में बीते सोमवार रात को आग लगने से वहां भर्ती चार बच्चों की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि इस हादसे में बड़ी संख्या में मासूम झुलस भी गए हैं। दूसरी तरफ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसकी पुष्टि करते हुए ट्वीट किया, ‘अस्पताल के बाल वार्ड में आग की घटना बेहद दुखद है। बचाव कार्य तेजी से हुआ, आग पर काबू पा लिया गया, लेकिन दुर्भाग्यवश पहले से गंभीर रूप से बीमार होने पर भर्ती तीन बच्चों को नहीं बचाया जा सका।’ उन्होंने कहा कि भोपाल के कमला नेहरु अस्पताल के बाल वार्ड में आग की घटना दुखद है। घटना की उच्च स्तरीय जांच के निर्देश दिए गए हैं। जांच अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मोहम्मद सुलेमान द्वारा की जाएगी।
ज्ञात हो कि महाराष्ट्र में अस्पतालों में आग की घटनाएं बीते दिनों बहुत बढ़ी हैं। इस साल जनवरी में भंडारा जिला अस्पताल में आग लगने पर, जिसमें १० नवजात बच्चों की जान चली गई थी। महाराष्ट्र सरकार ने इस घटना के तुरंत बाद एक ऑडिट कमेटी बैठाई थी। इस कमेटी ने सरकार के समक्ष १५ सिफारिशे रखी थीं, जिसमें से तीन प्रमुख सिफारिश थी- पहली हर जगह एक पेशेवर अधिकारी की नियुक्ति की जाए। दूसरी परिसर की खुद की फायर रिस्पांस टीम का गठन की जाए। तीसरी शिफ्ट और हरमंजिल के लिए अलग से फायर वॉर्डन नामित किया जाए। कमेटी के प्रस्ताव के बाद से अब तक राज्य के अस्पतालों में ५ बड़ी घटनाएं और घट चुकी हैं, जिसमें ४५ लोगों की जान जा चुकी है, लेकिन सरकार ने अभी तक सिफारिशों को लागू नहीं किया है।


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