रेलवे बोर्ड ने रेलवे के स्कूलों पर लिए नये फैसले
गोरखपुर। रेलवे गिनी-चुनी बड़ी संस्थाओं में एक मानी जाती है। देश करीब सभों में इसका विस्तार हुआ है। लाखो की संख्या में यात्री सफर करते हैं और उनके मुताबिक उन सबको मंजिल पर पहुंचाती है। इसके बावजूद पिछले कुछ सालों से निरंतर रेलवे को सुधारीकरण का बहाना लेकर निजीकरण की ओर धकेला जा रहा है। यही नहीं अब रेलवे के स्कूलों पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। रेलवे बोर्ड ने स्कूलों को सुव्यवस्थित करने के नाम पर बंद या मर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस फैसले से आने वाले दिनों में नुकसान रेलकर्मियों का ही होगा। यह बात अलग है किसी अनहित की बात से पूरी तरह नकारा गया है।
गौरतलब हो कि २५ अक्टूबर को दिल्ली में आयोजित बैठक का हवाला देते हुए सभी जोनल कार्यालयों को पत्र लिखकर चार नवंबर तक सभी विद्यालयों की अद्यतन रिपोर्ट मांगी है। पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्यालय गोरखपुर में भी रेलवे बालक इंटर कालेज, रेलवे बालिका इंटर कालेज और एन ई रेलवे सीनियर सेकेंड्री स्कूल सहित कुलतीन विद्यालय हैं। इन विद्यालयों में रेलक र्मियों के बच्चों की संख्या अपेक्षाकृत कम ही है। दो विद्यालयों में रेलक र्मियों के बच्चों की संख्या ५० फीसद से भी कम है। जबकि, एक में लगभग फिफ्टीr-फिफ्टी का अनुपात है। ऐसे में इन विद्यालयों के संचालन पर भी संशय है। दोनों विद्यालयों को मर्ज करने की संभावना बढ़ गई है। दिग्विजयनाथ पीजी कालेज के बीएड विभाग में प्रथम वर्ष के विद्या र्थियों के लिए अभिविन्यास कार्यक्रम का आयोजन किया गया। विभाग की प्रभारी डा. गीता सिंह ने महाविद्यालय एवं विभाग द्वारा प्रदत्त की जाने वाली विभिन्न सुविधाओं से अवगत कराते हुए बीएड प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रम, उसके उद्देश्य, सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक गतिविधियों आदि की जानकारी विद्यार्थियों को दी। डा.सुभाष चंद्र ने पावर पाइंट प्रजेंटेशन के द्वारा विभाग की स्थापना, विजन, मिशन, लक्ष्य, विभागीय गतिविधियों, सात्रिक क्रियाकलापों तथा पाठ्यक्रम की जानकारी दी। डा. सरोज शाही ने शैक्षिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के उद्देश्य एवं महत्व से अवगत कराया। डॉ.शुभ्रा श्रीवास्तव ने प्रायोगिक गतिविधियों, उनके उद्देश्य एवं शिक्षण कौशल की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
ज्ञात हो कि नई व्यवस्था के तहत रेल कर्मियों के बच्चे कम होने पर स्कूल बंद कर दिए जाएंगे या पास वाले रेलवे के दूसरे स्कूल में मर्ज कर दिए जाएंगे। स्कूलों के बंद या मर्ज होने की दशा पर रेलवे प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि छात्रों और अभिभाव को कोई दिक्कत न हो। हालांकि, जिन विद्यालयों में बच्चों की संख्या पर्याप्त है, वे चलते रहेंगे। संचालन के लिए रेलवे प्रशासन को औचित्यपूर्ण रिपोर्ट देनी होगी। फिलहाल, बोर्ड ने विद्यालयों में नई नियुक्ति और पदोन्नति पर भी रोक लगा दी।