6 स्टेशनों पर हवा से पानी का निर्माण करेगा मध्य रेलवे
मुंबई । मध्य रेलवे के मुंबई मंडल के छह रेलवे स्टेशनों पर पीने का पानी अब नई तकनीक से मिलेगा. इन स्टेशनों पर पानी यूएन की मान्यता प्राप्त उस तकनीक से मिलेगा जो हवा से पानी पैदा करती है. एटमॉस्फेरिक वॉटर जनरेशन (एडब्ल्यूजी) 'मेघदूत' एक ऐसा उपकरण है जो कंडेंसेशन की साइंस का इस्तेमाल करके परिवेशी हवा से पानी निकालता है. यह पानी अब रेलवे स्टेशनों पर उपलब्ध कराया जाएगा. इस साल जून में, इस पहल को संयुक्त राष्ट्र ग्लोबल कॉम्पैक्ट की ओर से भारत से जल प्रबंधन के लिए वैश्विक सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) के लीडर के तौर पर मान्यता दी गई थी।
जानकारी के अनुसार यह भारत की पहली स्वदेशी वायुमंडलीय वाटर जनरेटर मशीन है, जो हवा में फैले जल वाष्प को ताजे और स्वच्छ पेयजल में बदलने का करती है। कंपनी ने उच्चतम गुणवत्ता के पानी का उत्पादन करने के लिए सीएसआईआर-भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईसीटी) हैदराबाद के साथ समझौता किया है। इस वाटर जनरेटर मशीन से यात्रियों को बोतल के साथ 15 रुपए में शुद्ध पानी मिलेगा, जबकि बोतल रिफिल के लिए 1 लीटर पानी का मूल्य 12 रुपए, आधा लीटर के लिए 8 और 300 मिली के लिए 5 रुपए देना होगा। उल्लेखनीय है कि रेलवे स्टेशनों ‘रेल नीर’ पानी का बोतल भी 15 रुपए में मिलता है। मुंबई के स्टेशनों पर पेय जल की कमी को देखते हुए आईआरसीटीसी की तरफ से वाटर वेडिंग मशीनें भी लगीं थी, जो बंद पड़ गईं।
अधिकारीयों ने बताया कि “यह तकनीक पानी के ज्ञात स्रोतों पर निर्भर नहीं है. हम पानी के मूल स्रोत का दोहन कर रहे हैं, इसलिए यह प्रकृति आधारित समाधान है. पानी की बर्बादी नहीं होती है. यह एक टिकाऊ तकनीक है. यह स्टेशनों पर पानी के कारखाने होने जैसा है।