हमारी जब तक साँस रहेगी, तब तक मरीजों को साँस देने की प्रयास करुँगी : - ड़ॉ बीना कुमारी
हमारी जब तक साँस रहेगी, तब तक मरीजों को साँस देने की प्रयास करुँगी : - ड़ॉ बीना कुमारी
मुंबई। करोड़ों योनियों में भटकने के बाद तब जाकर कहीं मनुष्य तन प्राप्त होता है और ईश्वर द्वारा मिली इस जिंदगी का मूल उद्देश्य भी लोगों की सेवा करना शास्त्रों में बताया गया है। इसका अनुसरण आज भी लोग करते चले आ रहे हैं। इसी राह पर चलते हुए भारत रत्न बाबा साहब अंबेडकर रेलवे अस्पताल भायखला की एसीएचडी बीना कुमारी दिनोंदिन रोगियों का इलाज करते हुए ख्याति प्राप्ति करती जा रही हैं। इसकी चर्चा ज्यादातर रेलकर्मियों की जुबान से सुनी जाती है।
गौरतलब हो कि भारत रत्न बाबा साहब अंबेडकर रेलवे अस्पताल भायखला का उद्घाटन डॉ.भीमराव आंबेडकर साहब द्वारा फीता काटकर किया था, जो अपने आपमें ख्याति प्राप्ति है। यहां के डॉक्टर-सिस्टर का ब्यवहार बहुत ही सराहनीय है। एक परिवार में जिस प्रकार परिवार का मुखिया परिवार का ध्यान रखता है। उसी तरह भायखला की मैटरनिटी वार्ड की एम.डी.डॉ.बीना कुमारी रखती हैं। रेलवे कर्मचारी अशीष सर की पत्नी प्रीतू नौ महीने की प्रेग्नेंट थीं, तभी उनको डेंगू हो गया तथा खून की कमी ज्यादा मात्रा में थी, तब उनको भायखला अस्पताल में उनके पति ने भर्ती कराया और डॉ.बीना, डॉ.निकिता, डॉ.सैलजा, सिस्टर निकिता, श्रेया, अर्चना, सैय्याली, जोयस, अथिरा, रजनी, वीरा, प्रमिला व डॉ. अश्वनी ने डेंगू को सही किया और डेलवरी में आयी प्रबल दुर्लभ को दूर करके दोबार दो जिंदगियां बचायीं।
ज्ञात हो कि डॉ. बीना कुमारी के पति कमिश्नर रैंक में हैं और इनकी ही फेमली के कैबिनेट मंत्री भी हैं, लेकिन इनका जीवन बहुत ही त्यागमय है। डॉ. बीना का कहना है कि हमारी जब तक सांस रहेगी, हम तब तक लोगों की सांसों को बचाने का काम करती रहूंगी। ए.डी. बीना कुमारी सभी रेलकर्मियों के लिए मील का पत्थर साबित हुईँ। पूरी टीम ने बच्चे के साथ केक काट कर बच्चे को आशीर्वाद भी प्रदान किया और टीकाकरण करके खुशई-खुशी मा-बेटा को डिस्चार्ज किया।